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Nalanda Satish

Tragedy Others

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Nalanda Satish

Tragedy Others

बदहाली

बदहाली

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तूफ़ान को कम मत आंकना यह पत्थरों के

पाँव उखाड़ देता 

नज़ाकत में रहे तो साहिल का मिज़ाज

रंगीन कर देता है 


हुनर हो सतह पर आने का तभी गहराईयों में उतरना 

यह समंदर चट्टान को भी तोड़ने में करने में माहिर हैं 


मेरी नज्म है कुंदन की इसे सोना मत समझना

कड़े इम्तीहानों से गुजरी जब कागज़ की गोद में

सुस्तायी है


धूप बारिश से मिलकर गर रचाती साज़िशें

तो आँधियों को बुलाने मे ही अक्लमंदी है


गुलशन की बदहाली से गर आँख मूंद ली गयी 

तो हुक्मरानो को नींद से जगाना जरूरी है 


मौत भी लगता है खानाबदोश हो गयी

गलत पते पर बिन डाकिये की पहुंच जाती है 


 



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