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Himanshu Sharma

Abstract

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Himanshu Sharma

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बड़ी देर कर दी

बड़ी देर कर दी

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फ़ासले क्यों हुए दरमियाँ, जो हम समझ पाते, 

बड़ी देर कर दी तुमने, मेरे क़रीब आते आते।


करके दीदार मेरा, तुम कभी थे खिलखिलाते,

बड़ी देर कर दी तुमने, मेरे क़रीब आते आते!


इश्क़ दर्द देता है, बुज़ुर्गवार सही थे फ़रमाते,

बड़ी देर कर दी तुमने, मेरे क़रीब आते आते!


इल्तज़ा है ख़ुदा से कि आप रहें यूँ ही मुस्काते,

बड़ी देर कर दी तुमने, मेरे क़रीब आते आते!


चेहरा दिखायेगा मुस्कान पर रहेंगे दर्द छुपाते,

बड़ी देर कर दी तुमने, मेरे क़रीब आते आते!


दुआओं में उठेंगे हाथ, लब रहेंगे तुझे बुलाते,

बड़ी देर कर दी तुमने, मेरे क़रीब आते आते!


लोग सीखेंगे, इश्क़ में परवाने क्यों जल जाते?

बड़ी देर कर दी तुमने, मेरे क़रीब आते आते!


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