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shekhar kharadi

Action Classics Inspirational

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shekhar kharadi

Action Classics Inspirational

बढ़ना

बढ़ना

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नन्हा सा बीज बनकर

मिट्टी में दबकर बढ़ना है।

अंसख्य बूंदों से भीगकर

चीर फाड़कर बढ़ना है।


रवि के किरणों से पलकर

यथार्थ संघर्ष से बढ़ना है।

पानी को नित्य शोषित कर

कद-काठी तक बढ़ना है।


आंधी-तूफ़ान से डटकर

दृढ़ संकल्प से बढ़ना है।

क्रमिक वृद्धि से निकलकर

स्वयं की पहचान तक बढ़ना है।


स्थिति को अनुकूल बनाकर

प्रकृति की इच्छा तक बढ़ना है।


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