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Manishaben Jadav

Children

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Manishaben Jadav

Children

बचपन

बचपन

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आज फिर मिलके तुमको

एक जादू सा मिल गया।

क्या बताऊँ तुमको,

तुम संग कितनी यादी है मेरी।


सच बताउं तुमको

वे दिन भी कितने निराले थे।

बचपन की वे याद जैसे

हसीन पलका खजाना था।


कभी अपनी बात मनवाने

बिन आंसू हम रोते थे।

कभी पतंगकी डोर के वास्ते

नंगे पांव हम दौडते थे।


कभी पापाके कंधों पे बैठके

दुनिया को हम देखते थे।

कभी थके हारे आके

मम्मी के आँचल मे लेटते थे।


तोतली तोतली बोली बोलके

सबका प्यार पाते थे।

मासुम ओर प्यारी शरारतें

सबके मनको लुभाते थे।


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