बचपन बता!!
बचपन बता!!
बचपन बता थोड़ा तो बता।
थक गई है मेरी आंखें
उससे मिलने के लिए
जो जुदा हो चुका है
मुझसे सदियों पहले।।
वो मासूमियत कहा ?
बचपन बता जरा बता
कहा को गया है मेरा
मुस्कराहट ,कहा कहा।।
ख्वाबों का समुंदर सूख गया है,
हकीकत की धूप से सूख गया
होसलोंका अंबर कहा गया,
क्या चुप गया फरेब के बादलो में।।
आशा का पहाड़ को कहा गया
क्या तानो के बवर में गल गया?
वो लम्हे कहा को गए जो मेरे थे
वो पल कहा तम गया जन मैने
दिल कोलके मुस्कुराया था।।
बचपन बता ।।
बचपन बता थोड़ा तो बता।
थक गई है मेरी आंखें
उससे मिलने के लिए
जो जुदा हो चुका है
मुझसे सदियों पहले।।
मेरा वो दोस्त कहा
जो थे मेरे आंको के सितारे
क्या वक्त की करवट ने
चीन लिए उन्हें मुझसे ?
मेरे सारे जज़्बात कहा
पत्थर बन जाए क्या सब ?
मेरा वो विश्वास कहा
कई किसी ने उसका कतल
तो ना कर दिया ? जरा बता।
मेरे होटों की हसी कोगई
मेरे कदम न रूखे,
मेरे जसबाथ मिट गए
पर कदम ना रूखे मेरे
मेरे साथी बिछड़ गए
मेरे सब पराए हो गए
मेरा कुछ बचा नही
पर कोई कटिनयी में
इतने हिम्मत कहा
जो मुझे मेरे मंजिल से दूर करे।।
बचपन बता।