STORYMIRROR

बातें

बातें

1 min
884


तुम्हें भूले मगर भूले नहीं वो नरगिसी बातें

ठिठुरते दिन दिसंबर के तुम्हारी चाय सी बातें।


किया करते हैं यूँ तो गुफ़्तगू हम हुस्न वालों से

मगर दिल पे रवां हैं बस तुम्हारी इत्र सी बातें।


जरा सी बात पर तुम फेरकर मुँह बैठ जाते हो

फ़कत कुछ बेगरज़ बातें, हुए झगड़े, फँसी बातें।


तुम्हें हमसे मिले गुज़रे ज़माने सैकड़ों फिर भी

हमारे ख़्वाब, यादों और बातों में बसी बातें।


चले आओ कि ज़ीनत में शहद-सा कुछ पिघल जाए

कि फिर से घोल दो दिल में मुहब्बत से लसी बातें।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance