बात
बात


हर बात में कुछ बात होती है
बिन बात नहीं बरसात होती है
एक कदम बढ़ाने के बाद ही
मंज़िल की शुरुआत होती है
नासमझ के लिये तो दुनिया में,
भोर की सुबह ही रात होती है
हर बात में कुछ बात होती है
फिजूल नहीं मुलाकात होती है
सब स्वार्थ से ही बात करते है
बिना मतलब नहीं बात करते है
स्वार्थ बगैर न मुलाकात होती है
जब मेरी मुफ़लिसी का दौर आया,
अपनों का छोड़ने का छोर आया,
ये सारा संसार मतलबी है,साखी,
बिना अर्थ कोई नहीं बात होती है
हर बात में कुछ बात होती है
बिना बात नहीं बरसात होती है