बात विश्वास की है
बात विश्वास की है
राजा हरिश्चंद्र हुये, सतयुग का था नाम,
सत्य पर अडिग रहना, उनका था काम,
राज पाट सब खो दिये, सत्य के वो वीर,
विश्वामित्र ऋषि हार गये, देख हुये अधीर,
बात विश्वास की है, ऐसा सत्यवादी नहीं,
ढूंढ लो चहुं ओर, मिलता है यहां कोई।
त्रेता युग श्रीराम हुये, पुरुषोत्तम कहलाये,
दुष्टों का संहार किया, ऋषि मुनि बचाये,
रावण को मारकर, सीता जी वापस लाये,
वन वन भटकते फिरे, रोये कभी हँसाये,
हनुमान जी परम भक्त, बन सम्मुख आये,
बात विश्वास की है, भरत जैसा भाई मिला,
खड़ाऊं पाकर राम की, मन मंदिर खिला।
द्वापर में श्रीकृष्ण, जगत को खेल दिखाये,
विष्णु का अवतार ले, जग श्रेष्ठ कहलाये,
यशोदा के नंदलाला, राधा संग रास रसाये,
महाभारत में गीता का, अर्जुन पाठ पठाये,
बात विश्वास की है, युद्ध में धर्म की जीत,
अधर्म धरा नष्ट किया, जगाई जन में प्रीत।
पाप, अहित, संताप बढ़े, कलियुग का नाम,
अत्याचार बढ़ रहे हैं, बुराई जन का काम,
अभी बढ़ेंगे पाप और, कल्कि ले अवतार,
दुष्टों का करेगा संहार, जगायेगा जन प्यार,
बात विश्वास की है, ऐेसा समय आएगा,
विष्णु का अवतार फिर, नाम ही कमाएगा।
विश्वास पर टिका है, मात पिता गुरु देव,
विश्वास ही कहलाता, ब्रह्मा, विष्णु, महादेव,
घर और परिवार भी, विश्वास पर टिकते,
विश्वास की बात है, नाम जहां में बिकते,
विश्वास अगर नहीं, नहीं जगत में परिवार,
विश्वास बिन जीवन निरस, जिंदगी बेकार।
हम जीएंगे लंबी उम्र, कहलाता विश्वास,
विश्वास के बल ही दोस्ती आती है रास,
दुख दर्द खत्म हो, जब बीते अंधेरी रात,
सुख और दिन आएंगे, बदलते हैं हालात,
बात विश्वास की है, कल भी करेंगे काम,
पर कटु सत्य है, आती जरूर अंतिम शाम।
