बारिश ऋतु
बारिश ऋतु
पुष्प से सुगंध भरे
चहु ओर दिव्य करे
मनोहर दृश्य हरे
उर आनंद आयो है।
ओस बूँद मोती बने
वृक्ष हरित हैं तने
आए हैं बदरा घने
बारिश ऋतु भायो है।
मन मोर नाच रहा
स्वर्ग तुल्य लगे धरा
हिय में उमंग भरा
प्रभु कृपा छायो है।
दिन रैन सुख छाए
नेह अनुबंध पाए
हरि के ही गुण गाएं
रम्य जन्म लुभायो है।