बारिश लगाए प्रेम की आग
बारिश लगाए प्रेम की आग
बारिश लगाए प्रेम की आग
( बारिश और प्रीत )
꧁༒ •° 💦°•༒꧂
ये बारिश भी बहुत मौके पर चोक्के लगा रही है
गिरती है तब ज़ब वो मेरे समीप से गुजर रही है
छाते मे समा लेता हु भीग जावेगी ये बहाना बनाकर.
पास आकर वो मुझे ही जैसे प्यास लगा रही है.
मिली ज़ब आंखे मेरी उसकी भीगी कजरारी आँखों से,
दिल मे जैसे गले मिलने की वो आश जगा रही है.
गालो पे उसके सरकती बारिश की चमकती ये बुँदे,
सच्चे मोती बनकर जैसे मुझे छूने को ललचा रही है.
मिटाकर दूरिया सारी छुपा लेता हु ज़ब बाहोंमे उसे,
तो लगता जे जैसे ये बारिश आग दोनों के दिलमे लगा रही है
ये बारिश भी बहुत मौके पर चोक्के लगा रही है
गिरती है तब ज़ब वो मेरे समीप से गुजर रही है

