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Aniruddhsinh Zala

Romance

4  

Aniruddhsinh Zala

Romance

मजबूर कितने प्पार मे हम

मजबूर कितने प्पार मे हम

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किसी को क्या बताएं कि प्यार मे कितने मजबूर हैं हम.

एक तुम्हे ही चाहा और तुमसे ही दूर हैं हम..


हमारी हर धडकन चलती है तेरे नाम से

फिर भी देखो तेरी आँखो से कितने दूर हैं हम.


वादा भी किया था हमने साथ रहने का सदा

किस्मत के खेल के आगे हारकर दूर रहने को मजबूर हैं हम.


बसते है बहूत दूर पर लगती नही दूरी कोई

ऐक दूजे के दिल मे आज भी कितने मशहूर हैं हम.


'राज' हदय की हर गलीओ मे आज भी हे बसेरा तेरा

जमाने की नजरो मे दूर पर एक दूजे के सदा पास हैं हम.


किसी को क्या बताये कि प्यार मे कितने मजबूर हैं हम.

एक तुम्हे ही चाहा और तुमसे ही दूर हैं हम..

   


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