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Neha Dhama

Romance

4  

Neha Dhama

Romance

बारिश बन जाऊं

बारिश बन जाऊं

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243


सोचता हूं कि काश मैं बारिश बन जाऊं

तेरे मचलते अरमानों की ख्वाहिश बन जाऊं

कि आया है सावन प्रेम संदेशा लेकर 

तेरी चिट्ठियों के अल्फ़ाज़ बन जाऊं


चूड़ियों की खनक , झनकती पायल 

कजरारे नैनों की नटखट सी सरारत

अल्हड़ मदमस्त जवानी ,उड़ती लटायें

माथे पर दमकती बिंदिया बन जाऊं


सावन बरसे , बरसे भादो तेरे अंगना

भीग लूं संग संग तेरे मैं भी आज बन चुनरियां 

हथेली पर गिरती मोतियों सी दमकती बूंदे 

भीगे तन मन पर बूंदों का खुमार बन जाऊं


घुमड़ते बादलों को देख मतवाली होती मोरनी 

कुहू कुहू करती कोयल , पपीहे का मधुर संगीत 

भीगी मिट्टी से उठती सौंधी सौंधी सी खुशबू 

चहुं दिशा फैली हरियाली,यौवन का निखार बन जाऊं


बादलों की गड़गड़ाहट से धड़कते दिल की धड़कन

दामिनी की चमक से गालों पर चमकता तिल

तन बदन में उठती सतरंगी ख्यालों की लहर 

शरमाकर झुकती पलकों की चिलमन बन जाऊं ।।



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