बालपन
बालपन
मैं छुटकी-सी थी
मैं मिठकी-सी थी
माँ मेरी
मित्र थीं
ममता उनकी
सहयोगी थी मेरी
नन्हें कदमों का
सहारा वो बनीं
पापा की
गोदी में बचपन
बीता मेरा
गोदी में
रहने वाली
अपनी संतान के
पग बनकर
उभरे वो
आशा उनकी
पथदायिनी बनी
जिन कदमों को
गोदी से पृथ्वी पर
बढ़ने का साहस
मुझे मिला
उन्हींं चरणों
का सहारा बनकर
उभरना कर्तव्य है मेरा
एवं कर्तव्य-पालन ही
लक्ष्य है मेरा।