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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract Others

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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बाल मन

बाल मन

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बालमन चंचल है

बालमन निश्छल है

ये नहीं जानता है,

बिल्कुल भी छल है

गंगा सा पावन है

ये पवित्र जल है

ये नहीं जानता है

ऊंच-नीच का मल है

इसका मन कोमल है

ये सबको मानता

ख़ुदा का जल है

ये हिन्दू,ये मुस्लिम

ये सिख,ये ईसाई

ऐसा करते हम है

बाल मन न खोलता 

भेदभाव का नल है

हमें बाल मन से,

बहुत सीखना है

छोड़ना हमे,

ऊंच-नीच, भेदभाव,

नफ़रत, छल, कपट

आदि का स्थल है

बाल मन चंचल है

बाल मन निश्छल है



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