बाल मन
बाल मन
बालमन चंचल है
बालमन निश्छल है
ये नहीं जानता है,
बिल्कुल भी छल है
गंगा सा पावन है
ये पवित्र जल है
ये नहीं जानता है
ऊंच-नीच का मल है
इसका मन कोमल है
ये सबको मानता
ख़ुदा का जल है
ये हिन्दू,ये मुस्लिम
ये सिख,ये ईसाई
ऐसा करते हम है
बाल मन न खोलता
भेदभाव का नल है
हमें बाल मन से,
बहुत सीखना है
छोड़ना हमे,
ऊंच-नीच, भेदभाव,
नफ़रत, छल, कपट
आदि का स्थल है
बाल मन चंचल है
बाल मन निश्छल है
