बाल गीत
बाल गीत
मम्मी की साडी में गुड़िया चाय पिलाने आई
छमछम करती पायल उसकी मुझसे यूँ बतियाई।
बड़ी हो गई हूँ मैं दादा ब्याह रचा दो मेरा
अच्छा कोई मनभावन एक दूल्हा लादो मेरा
समझदार हो गई हूँ दादा में समझाने आई
मम्मी की साड़ी में गुड़िया चाय पिलाने आई।
गांधी वाला ऐनक उसका बोल रहा था दादा
कब तक मुझे रखोगे घर में क्या है कहो इरादा
बूढ़ी हो जाउंगी दादा तुम्हें जगाने आई
मम्मी की साड़ी में गुड़िया चाय पिलाने आई।
हाथों में सलमान का फोटो जैसे बोल रहा था
जीवन साथी के बारे में मन को खोल रहा था
कान पे दस्तक खुद न देकर उसने यूँ दिलवाई
मम्मी की साड़ी में गुड़िया चाय पिलाने आई।
अनंत उसका ये अंदाज सुहाना था मनभाया
दादाने अपनी गुड़िया को गुङ्ङा एक दिखाया
बोला बेटा नहीं देर अब कल है तेरी सगाई
मम्मी की साड़ी में गुड़िया चाय पिलाने आई।
