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Salil Saroj

Drama

3  

Salil Saroj

Drama

बादशाहत

बादशाहत

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बादशाहत तुम्हारी जितनी भी बड़ी हो आज, याद रखना

वक़्त को हर एक तख्तो-ताज को गिराना आता है।


यह हुकूमत सब यहीं धरी की धरी रह जाएँगी

आँधियों को अकड़े हुए शज़रों को झुकाना आता है।


दूसरों को कमतर समझने की तुम्हारी भूल है ज़ानिब

सर्द रातों को भी जलते सूरज को बुझाना आता है।


शतरंज की बिसात पर हो तो तैयार रहना कि

प्यादे को भी बादशाह की औकात दिखाना आता है।


जुल्म की बरसी मनाने की तैयार में हो तुम पर अब

कौम को भी खुद के लिए आवाज़ उठाना आता है।


तुम से ही सीखी हैं हमने भी कुछ नई होशियारियाँ

अब हमें तुम्हारे घर में तुम्हें ही हराना आता है।


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