बाबा याद आते हैं !
बाबा याद आते हैं !
बातों के जादूगर थे शायद
बातों ही बातों में बड़ी बड़ी बाते
बता दिया करते,
कभी नदी/ झील/ झरने / तालाब
कभी समुंदर/
कभी पर्वत / पहाड़
कहीं भी घुमा दिया करते थे
मौसम के मिज़ाज से लेकर
बहारों के आने और आवारा बादलों के घूमने तक
सावन के हरे भरे मनभावन दृश्य से लेकर
पतझड़ के आने तक की बातें किया करते
अंतरिक्ष की जब बात पूछते हम तो
चाँद तारों की ही नहीं
समस्त ग्रह नक्षत्रों के
चाल ढाल और स्वभाव बता दिया करते
वो हमारे बाबा ही नहीं
पथ प्रदर्शक /हमारे गुरु थे
सूर्य सा तेज तो चंद्र सी शीतल औ सौम्य थे
सूर्य चंद्र के उदाहरण देकर
हममें कर्तव्यबोध का भाव जगाते
थे वो गृहस्थ पर वैदेह भी थे
कभी लाड तो कभी मीठी फटकार देकर
हमें पढ़ाते थे घर परिवार/ समाज
और देश प्रेम के पाठ।
नहीं हैं अब वो हमारे बीच आज
उनकी नसीहतें बहुत याद आती हैं
सच कहूँ तो
बाबा ही नहीं
उनका वो घर
वो पुराने दिन और
अपना बचपन बहुत याद आता है
साथ ही आ जाते हैं याद बाबा
ऊँगली को थामे
जीवन के उबड़ खाबड़ डगर पर
अपने चिर परिचित अंदाज में
हमें दुलाराने और अंतरिक्ष की सैर कराने को
बहुत याद आते हैं बाबा..!