बाबा संगत सिंह का शौर्य
बाबा संगत सिंह का शौर्य
माता बीबी अमारों की कोख से जन्म लिया सूरत घणी प्यारी,
शास्त्र विद्या में निपुण और युद्धकला में तो बात घणी निराली।
पिता भाई रानिया ने देश की रक्षा खातिर गुरु की शरण में भेज दिया,
गुरु गोविंद ने युद्ध कला में उनका देख पराक्रम फ़ौज कमांडर बना दिया।
उनकी अगुवाई में सिख फौज ने की चढ़ाई भगानी के रण को जीत लिया,
अपने शौर्य पराक्रम का परिचय देते हुए भीमचंद्र को पराधीन किया।
दस युद्ध लड़े थे जिसने कभी ना रण में हारा ,
रण के मैदान में जो भी उसके सामने आया उसने बीच से फाड़ डाला।
रण हो या मैदान उसने अपना ही झंडा लहराया,
इसी वीरता के कारण वीर सुरमा महान रविदासी कहलाया।
अंतिम युद्ध था चमकौर जिसमें मुगलों की 10 लाख की फ़ौज से पड़ा पाला,
उसने अपने गुरु और धर्म की खातिर पहन कलंगी अपना बलिदान दे डाला।