मोहब्बत
मोहब्बत
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आज मेरी उससे फिर मुलाकात हुई
आंखों ही आंखों में उससे बात हुई
कभी चंद्रमा सा चेहरा था उसका
आज अमावस्या की काली घटा सी छाई की थी
पता नहीं आज फिर किसी से मिलकर आई थी।