औरत बनना भूल गयी
औरत बनना भूल गयी
जब मैं बेटी बनी थी तो
मां बाप के ख्वाब को
अपना काम बता रही थी
सपना उनका था पर उन्हें
अपने आंखों में सजा रहे थे
सोचा कि बेटी ऐसे बन जाऊं
जो दुनिया में मिसाल बन जाए
उनके सपने पूरे करो और
उनका नाम भी कमाल बन जाए
जब मैं बहन बनी थी तो
भाइयों के खेल खिलौने में
अपनी भी दिन रात बिता रही थी
छोटे थे तो उनकी चिंता करती
दुनिया की बातें उन्हें बता रही थी
सोचा कि बहन ऐसी बन जाऊं
जो उनके हर बचपने को हमेशा
अपने कंधों पे लेकर घुमाऊं
जब मैं बीवी बनी थी तो
पति को देवता बना रही थी&nb
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घर का संसार हमसे होगा और
अपनी दुनिया सजा रही थी
सोचा कि बीवी ऐसी बन सकूँ
वो मुझे अपना सम्मान बताए
ना कि मेरा मजाक उड़ा कर
सबके सामने कमजोर बताएं
और जब मैं एक मां बनी तो
सारा जीवन न्योछावर कर दिया
बेटे ने कभी कुछ नहीं मांगा
क्योंकि बिन मांगे मैंने सब दे दिया
चाहती कि एक ऐसी मां बन जाऊं
जो बेटा कभी अपमान ना करे
प्यार जितना मैंने किया कम से कम
उतना ही प्यार बेटा भी करें
इतना सब किया लोगों के खातिर
अपने लिए तो जीना ही भूल गई
बेटी, बहन, बीवी और माँ बन गई
पर एक औरत बनना भूल गई