अटूट बन्धन
अटूट बन्धन


तुम काँटे बने
मुझे बचाने के लिये,
ताकि मुझे कोई
तोड़ न सके।
तुमने ख़ुद को जलाया
मुझे रौशनी देने के लिए,
ताकि अंधेरा भी
मुझे छू न सके।
तुम हथौड़ा बने
मुझे तराशने के लिये,
ताकि मुझ में कोई
कमी न रह सके।
मेरी कोशिशों को
शिखर तक पहुँचाया,
ताकि मेरा विश्वास
हार न सके।
मेरी नैतिकता का पाठ बने
हर मोड़ पर मार्ग दर्शक बने,
इस जीवन में माँ - बाप ही
मेरी प्रेरणा का स्रोत बने।
एक अदृश्य शक्ति की
पूजा करते है ख़ुदा मानकर,
कर्तव्य तो ये है हमारा
जीवन देने वाले माँ - बाप की
सेवा करना ही
धर्म - कर्म हो हमारे लिये।