STORYMIRROR

अमित प्रेमशंकर

Romance

4  

अमित प्रेमशंकर

Romance

अटूट बंधन (पहली रात मिलन की)

अटूट बंधन (पहली रात मिलन की)

1 min
7

पहली रात मिलन की हो

मैं ऐसे तुझ संग रास करूँ

घूंघट रोज उठाकर सजनी

जीवन अपना खास करूँ।।


सोने-चांदी हीरे-मोती 

गहनों की औकात नहीं 

वही पुरानी साड़ी सजनी 

और कोई सौगात नहीं

भूखा नहीं रखूंँगा तुझको 

भले ही मैं उपवास करूँ

घूंघट रोज उठाकर सजनी

जीवन अपना खास करूँ।।


नैनीताल मसूरी गोवा 

भले तुझे ले जाऊं ना

रहकर तुमसे दूर प्रिये

मैं एक पहर रह पाऊँ ना।

खुले गगन हो रात चांदनी 

छत पे ही कुछ खास करूँ 

घूंघट रोज उठाकर सजनी

जीवन अपना खास करूँ।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance