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Sudhanshu Sharma

Drama Inspirational

4.5  

Sudhanshu Sharma

Drama Inspirational

अटल

अटल

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हम तुम समय से टल गए,

वो अटल आये, अटल गए।


रहा समय उदय-अस्त सा,

पर न माथे पर बल गए,

वो अटल आये, अटल गए।


कभी शंकर के रुद्र-सा,

कभी बच्चों से चहक गए,

वो अटल आये, अटल गए।


संघर्षो के आत्म-तप में,

प्रबल हुए-प्रखर गए,

वो अटल आये, अटल गए।


वादों के कुशल सारथी थे,

कभी न रथ के वचन गए,

वो अटल आये, अटल गए।


पोखरण के लौह-पुरुष,

कविता के मर्म-हृदय गए।

वो अटल आये, अटल गए।


पुनः जीवित जन जन में,

मृत्यु को भी छल गए,

वो अटल आये, अटल गए।


व्यक्ति खोया व्यक्तित्व रहा,

अर्थी आयी-कफ़न गए,

वो अटल आयेे, अटल गए।


कोई आया है न आएगा,

दशक आये शतक गए,

वो अटल आये, अटल गए।


संसार के कोलाहल में,

कितने स्मृति -पटल गए,

वो अटल आये, अटल गए।


हृदय मुग्ध मुस्कान लिए,

विश्व नेत्र कर सजल गए,

वो अटल आये, अटल गए।


कालजयी विश्व-युग पुरुष,

अंत आया-अनंत गए,

वो अटल आये, अटल गए।


करके जग, मन - बंधन में 

उन्मुक्त हुए, स्वच्छंद गए 

वो अटल आये, अटल गए 


स्मृतियों में घर करने को,

घर से 'स्मृति-स्थल' गए,

वो अटल आये, अटल गए।


अविरल विचार, वाणी अविरल,

अविरल गंगा के भँवर गए,

वो अटल आये, अटल गए।


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