अटल
अटल
हम तुम समय से टल गए,
वो अटल आये, अटल गए।
रहा समय उदय-अस्त सा,
पर न माथे पर बल गए,
वो अटल आये, अटल गए।
कभी शंकर के रुद्र-सा,
कभी बच्चों से चहक गए,
वो अटल आये, अटल गए।
संघर्षो के आत्म-तप में,
प्रबल हुए-प्रखर गए,
वो अटल आये, अटल गए।
वादों के कुशल सारथी थे,
कभी न रथ के वचन गए,
वो अटल आये, अटल गए।
पोखरण के लौह-पुरुष,
कविता के मर्म-हृदय गए।
वो अटल आये, अटल गए।
पुनः जीवित जन जन में,
मृत्यु को भी छल गए,
वो अटल आये, अटल गए।
व्यक्ति खोया व्यक्तित्व रहा,
अर्थी आयी-कफ़न गए,
वो अटल आयेे, अटल गए।
कोई आया है न आएगा,
दशक आये शतक गए,
वो अटल आये, अटल गए।
संसार के कोलाहल में,
कितने स्मृति -पटल गए,
वो अटल आये, अटल गए।
हृदय मुग्ध मुस्कान लिए,
विश्व नेत्र कर सजल गए,
वो अटल आये, अटल गए।
कालजयी विश्व-युग पुरुष,
अंत आया-अनंत गए,
वो अटल आये, अटल गए।
करके जग, मन - बंधन में
उन्मुक्त हुए, स्वच्छंद गए
वो अटल आये, अटल गए
स्मृतियों में घर करने को,
घर से 'स्मृति-स्थल' गए,
वो अटल आये, अटल गए।
अविरल विचार, वाणी अविरल,
अविरल गंगा के भँवर गए,
वो अटल आये, अटल गए।
