अशुभ
अशुभ
सब कह रहे थे कलंकनी जिसे......
मैंने उन्ही का सम्मान कर दिया ☺
अशुभ कहते थे लोग जिसे.....
मैंने अपने नजरों में उन्हें शुभ रहने दिया 😇
कसते रहे जमाने ने ताने जिसे
मैंने कुछ पल उनकी तारीफ कर....
मुस्कान लाना चाहा उनके होठो पर 😊
बड़ी ही शिद्दत के बाद वो हल्का सा मुस्कुराई 🤦♀️
अपने होठो पे मुस्कान लिए वो बड़ी ही प्यारी लग रही थी
न जाने जमाने ने उसे कलंक का नाम क्यो दे दिया
उसके साथ कोई इंसान तो छोड़ो
उसके खुद की पहचान भी गायब थी
उसके होठो की मुस्कान भी तो
सबके साथ ही गायब हो गयी थी.....
मानो व इस जहाँ मे.. ....
एक बेजान सा शरीर लिए बस घूम रही हो
मुस्कुरा दो जरा..... तो सूखे चेहरों पे रौनक सी छा जाये
मुस्कुरा दो जरा..... तो बेजान शरीर
फूलों के जैसे खिल जाये .. ....
बोल दो जरा....... तो ये फिजाये हसीन हो जाये ✨✨
थी तो हल्की सी तारीफ उनकी..... मेरे जुबां पे
पर उनकी मुस्कान के लिए शायद काफी था 😊
सब कह रहे थे कलंक जिसे......
मैंने उनकी मुस्कान उन्हें तोहफे में दिया 😊😊
✍️✍️ वर्षा रानी दिवाकर 🥰
