अर्ज़ किया है
अर्ज़ किया है
सूरज सारी उम्र जलता रहा
अब अंधेरा तलाशता है
आगोश में ख़्वाब देखने के लिये।
नहीं जानता ये पाने के लिये
खुद को फनाह होना है
सूरज सारी उम्र जलता रहा
अब अंधेरा तलाशता है
आगोश में ख़्वाब देखने के लिये।
नहीं जानता ये पाने के लिये
खुद को फनाह होना है