अर्धांगिनी
अर्धांगिनी
अर्धांगिनी, वामांगी,जीवन संगिनी ,नामो से अभिभूत हूं।
एक स्त्री के बहुमुखी किरदारों का स्रोत हूं।
बहता नीर सा मन रखती हूं,सुख दुख सहज भाव से सहती हूं,
हमराज, हमकदम बनकर,आजीवन रिश्तों की कहानी उकेरती हूं।
मकान को घर बनाने का हुनर, मुझे बखूबी आता है,
मेरे मन के निश्छल भावों से, घर का हर कोना जगमगाता है।
खुदा की कायनात में, सृजन का राग हूं
अपने हमसफर की दुनिया में अर्धांगिनी नहीं, उसकी पूरी कायनात हूं।