अपनों के दिए जख्म सभी पाल रखे
अपनों के दिए जख्म सभी पाल रखे
अपनों के दिए जख्म सभी
पाल रखे हैं मैंने
गैरों की मोहब्बत को भी
संभाल रखे हैं मैंने
ज़िंदगी हमने बड़ी
शिद्दत से गुज़ारी है
वक्त दोस्तों के लिए भी
निकाल रखे हैं मैंने
मजबूरियों की परवाह
कब हमने की है
मजबूरियों को सब हेंगर में
डाल रखे हैं मैंने
खुशियाँ हमारी जो
अपनों ने छीन ली है
गमों को उनके साथ ही
टाल रखे हैं मैंने
गरीबी ने साथ दिया
अमीर न बन सके
दौलत दोस्ती का बहुत
संभाल रखे हैं मैंने !
