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बरसो रे मेघा बरसो

बरसो रे मेघा बरसो

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तक तक कर राह तुम्हारी

हुई हालत बुरी हमारी

अब कितनी देर करोगे

हमको कितना दुख दोगे ?

हमरी हालत पे तुम ना हँसो

बरसो रे मेघा बरसो

बरसो रे मेघा बरसो !


खेती बाड़ी के दिन हैं

बैठे पानी के बिन हैं

सूखी है धरती माई

अब कैसे करें जुताई ?

तुम धरती पे आकर बसो

बरसो रे मेघा बरसो

बरसो रे मेघा बरसो !


जब हम करते हैं खेती

धरती अनाज है देती

उस पर ही गुजर बसर है

भूखे मरने का डर है

तुम धरती को पानी परसो

बरसो रे मेघा बरसो

बरसो रे मेघा बरसो !


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