धरती माता
धरती माता
हूँ तो मैं किसान का बेटा
पर खेती कुछ कर नहीं पाया
ग्रेज्युएट बन गया मगर मैं
घर में ही कुछ काम न आया।
दूसरों के देखा देखी में
मेरा भी मन यूँ भरमाया
सरकारी नौकरी मिल गई
गाँव मेरा हो गया पराया !
आज मुझे अफसोस बहुत है
छूटा मात पिता का साया
मैं अनजान बना लोगों में
सब कुछ खोकर कुछ नहीं पाया।
मेरा मित्र रमेश कृषक है
उसने खेती को अपनाया
गन्ना धान सब्जियाँ कितनी
दलहन तिलहन बहुत कमाया।
मैंने भी यह ठान लिया है
जब तक काम करेगी काया
खेती बाड़ी देश की सेवा
यही करूँगा जो मन भाया !