झूम झूम कर सावन आया
झूम झूम कर सावन आया
झूम झूम कर सावन आया
बरखा यह मन भावन लाया
रिमझिम पावस की बूंदों से
मन मयूर नर्तन कर गाया !
दादुर के सुर मधुर लगे
कोकिल ने अपना रंग जमाया
अमरैया में झूले पड़े
किशोरी के मन को जग भाया !
बैलों को लेकर हलधर
खेतों में डेरा खूब जमाया
धरती माता के चरणों में
श्रम का मधुर उपहार चढ़ाया !
हुए लबालब सभी सरोवर
नदिया में भी भरा पानी
हुआ दृश्य खुशनुमा गांव में
प्यारी बड़ी बरखा रानी !