अपनों का प्यार
अपनों का प्यार
टपके छत से पानी, खाने को ना हो दाना
ऐसे हालातों में भी, बिल्कुल ना घबराना
जान बची ना तन में, कपड़े हो फटे हाल
आने दो ऐसी भी, समस्याओं का भूचाल
मौसम हो ठण्डा, और पड़े पांवों में छाले
भूख सताये तुझे, पर भोजन के हो लाले
नहीं छोड़ना फिर भी, अपनों का तू साथ
अवश्य मिलेगा उनसे, सहयोग भरा हाथ
तुझे संग देखकर, केवल वही मुस्कुरायेंगे
तेरी हिम्मत देकर, खुशहाल तुझे बनाएँगे
अपनों के प्यार का, मोल बड़ा अनमोल
यही प्यार तुझे, बनाएगा अचल अडोल
हर विघ्न से सहज ही, पार तू हो जाएगा
अपने कदमों तले ही, मंज़िल को पाएगा