अपनी चाहत के रंग भरना है क्या
अपनी चाहत के रंग भरना है क्या
ज़िन्दगी में अपनी चाहत के रंग भरना है क्या ?
किसी के इश्क में खुद को कुर्बान करना है क्या ?
ख़्वाहिशों को अदद किनारा देना आसान है क्या ?
समय की डोर थामकर चल पाना आसान है क्या ?
किसी को भी अपना बना लेना आसान है क्या ?
किसी के मन को भा जाना कोई आसान है क्या ?
कर्म और परिश्रम तो सभी बड़ी लगन से करते हैं,
पर मन चाहा फल पाना भी इतना आसान है क्या ?
रजनी ओढ़ती काली चूनर सितारे जड़ी निशा में,
आज की रात चाँद को घटते बढ़ते देखना है क्या ?
दिल की रवानी है, मौज ये उठती गिरती लहरें हैं,
ज़िंदगी हवा सी बहती, अपनी धुन चलना है क्या ?