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Sana Johar

Tragedy

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Sana Johar

Tragedy

अपना कहते कहते

अपना कहते कहते

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पैसे, कभी सूरत, कभी औकात की ख़ातिर,

नहीं रहता कोई किसी के साथ बस जज़्बात की ख़ातिर !


यहाँ रिश्तों का ढोंग कर के लोग अपनापन बढ़ाते हैं,

फिर भरोसा बढ़ते ही अपना चेहरा दिखाते हैं !


रिश्तों का क्या कहें रिश्ते यहाँ इतने सस्ते हैं,

कपड़ो से जल्दी लोग यहाँ रिश्ते बदलते हैं !


जब होता है उन्हें मतलब तो सब अपने होते हैं,

फिर कहाँ कोई किसी को देख पलट के भी हस्ते हैं !


यहाँ सबसे धोखा क़रीबी रिश्तों ने दिया है,

अपना कहते कहते एहसास का क़त्ल किया है !


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