भेदभाव
भेदभाव
लड़के लड़की में भेद भाव, तो देश की ये परिभषा है
लड़का फेल करे तो ठीक, लड़की पे कौन खर्च करना चाहता है !
यहाँ लड़की को शादी के लिए, बाहर से मिलते ताने हैं
कुछ तालीम-याफ़्ता लोग तो, नौकरी ना लगने पे भी खूब सुनाते हैं !
वो आज भी कहते लड़की को, ना पढ़ती तो अच्छा होता
पढ़ लिख कर भी उनको तो, बस चूल्हा-चौका करना है !
फिर शादी फिर बच्चे, घर का ही बस धयान रखे वो
डिग्री रख कर भी, कौन सा उनको अफ़सर की पोस्ट पे रहना है !
हर चीज़ में लड़की पीसती है, रंग-रूप के आगे बेबस है
हो नौकरी तो कहे रूप है कैसा, और ना रहे तो फिर किस काम की वो !
ये कैसा समाज है अपना, इज़्ज़त के लिए भी मैय्यार है...
ना जी सकती कोई बिन शादी, ना मिलता उसे कोई अधिकार है !
आसान नहीं यहाँ ज़िन्दगी लड़की की, लड़को का बस यहाँ राज़ है
इस समाज को बदलना भी, सबसे मुश्क़िल इम्तेहान है !
