अपना देश
अपना देश
देखो अपना चमन,
करता मैं नमन।
इसकी शोभा तो,
इतनी सुहानी लगे।
वह रई सन-सन पवन,
हर्षित सबका मन।
अमृत सा नदियों का पानी लगे।
राम जन्में यहां,
कृष्ण खेलें यहां।
इतनी पावन है,
धरती सुहानी लगे।
सीता मैया यहां,
सुंदर है जहां।
कान्हा की बंसी,
सुहानी लगे।
बहती नर्मदा,
संत रहते सदा।
भोर-सायं राम,
धुन रही भंग है।
होली का जश्न है,
घुट रही भंग है।
देखो युवकों की टोली,
सुहानी लगे।
देखो अपना चमन,
करता मैं नमन।
इसकी शोभा तो,
इतनी सुहानी लगे।
