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Anjana Singh (Anju)

Abstract

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Anjana Singh (Anju)

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अनुभूतियों का सफ़र

अनुभूतियों का सफ़र

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अनुभूतियों के सफर में

बहुत कुछ मिला मुझे

कभी हारी कभी बिखरी

कभी आसमां में उड़ी

कभी कांटे चुभे कभी फूल खिलें

फिर भी जीने की ना छोड़ी तमन्ना

हर हाल में है मुझको चलना


कभी कड़े कुछ फैसले

मन में तीर चुभाते हैं

पर सबल बन हौसलों से

नये राह मिल जाते हैं

कभी थक जाते कदम मेरे

कभी घिर आते हैं अंधेरे

कभी मन अवसाद से भर जाता है

 कभी सब कुछ ध्वस्त हो जाता है


हताश उदास मन को

डाल दूं दरिया में

संभावनाओं के बीज बोकर

उड़ जाऊॅं नील गगन में

संभलती संवरती जाती हूं

हौसलों के बीज उगातीं हूं


जिंदगी के एकांत लम्हों में

बीतें पल याद आते हैं

क्या खोया क्या पाया

ये अनुभूति हम पाते हैं

सारी उम्र है बीत जाती

खुद के ही तलाश में

स्वयं को हम पाते हैं

बची जिंदगी की सांस में



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