अन्तर मन में दीप जगा दो ।
अन्तर मन में दीप जगा दो ।
अन्तर मन में दीप जगा दो ,
सूनी बगिया के फूल खिला दो ।
अन्तर मन में.....
तड़प रहा हूँ विरह मे तेरी ,
अब तो अपने दरस दिखा दो।
अन्तर मन में......
ढूँढ रहा हूँ इत-उत तुमको ,
अपनी मंजिल तक पहुँचा दो।
अन्तर मन में.....
डर लगता है ,कहीं देर न हो जाये ,
"प्रीतम" मुझको अपनी शरण में ले लो।
अन्तर मन में ......
इस "जीवन "का कुछ मोल नहीं है ,
तुम चाहो तो अनमोल बना दो।
अन्तर मन में.......
इस "नीरज " की कोई चाह नहीं है ,
अपने चरणों का दास बना लो।
अन्तर मन में......