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Tanu Jaiswal

Drama

2.5  

Tanu Jaiswal

Drama

अंत या शुरूआत

अंत या शुरूआत

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ना जाने कयूँ आज

एक धुँधली सी दुनिया

लग रही है।


बरसात मेरे चश्मे पे थी,

या सबकी आँखें बह रही थी।


कुछ यादें समेट रहे थे,

कुछ कसमें वादे दे रहे थे।


यादों का गुलदस्ता लिए,

ना जाने कयूँ आज,

एक धुँधली सी दुनिया लग रही।


इस अंत को अंत मान लूँ,

या शुरूआत समझकर,

आसुँओं का अंत करूँ।


पहलू दोनों ही रूला रहे,

कयूँकि बचपन का आँगन

हमारा घर से ज़्यादा

स्कूल में बिता था।


समझा रहे थे खुद को,

झुठी दिलासा दिए,

ना जानें कयूँ आज,

एक धुँधली सी दुनिया

लग रही है।


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