STORYMIRROR

Tanu Jaiswal

Drama

5.0  

Tanu Jaiswal

Drama

मेरी बनारस नगरी

मेरी बनारस नगरी

1 min
895


जहाँ की सुबह गंगा आरती से हई

जहाँ की रात गंगा पे खत़्म हुई

वहीं की वासी हूँ।

पैदा होके यहाँ पारस हुई।


खुशबू है पूड़ी-जलेबी-कचौड़ी की,

खनक है, सुबह-ए-बनारस की,

गूँज है गलियों में महादेव के नाम की

मंदिरों में पुजारी की।


वहीं की वासी हूँ,

पैदा होके यहाँ पारस हुई,

घाट किनारे बैठे इंतजार किया,

सुबह से रात हुई,


रात से फिर सुबह

शामें भी गुजर गई इस सती की,

महादेव के इंतजार मेंं।


खोज थी सीमित बनारस तक

महादेव की,

वहीं की वासी हूँ

पैदा होके यहाँ पारस हुई।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama