अनपढ़ स्त्री
अनपढ़ स्त्री
स्त्री ने पुरुष से ज्यादा ही हर जगह निभाया,
पर हाय री स्त्री किस्मत एसी कि कुछ न उनके हिस्से आया।
खेतों में जाकर पुरुषों के संग बराबरी से पसीना बहाया,
अनपढ़ होने के बावजूद
छोटे से छोटे व्यापार में बराबर साथ निभाया।
पर सारा पैसा हाथ में ले पुरुष मालिक बन जाता,
"कुछ नहीं करती ये औरत"स्त्री के हिस्से बस यही आया।
अनपढ़ रखना स्त्री को बहुत बड़ी एक साजिश थी
गुलाम बनाकर रखने को उन्हे
पुरुषों ने यही तरकीब निकाली थी।
बड़ी बेड़ियां तोड़ स्त्री ने पढ़ना लिखना सीखा,
"हर जगह हूं मैं बराबर की हिस्सेदार"
ये अधिकार जताना सीखा।