अनमोल मिलन
अनमोल मिलन
तेरी मेरी आज मुलाकात हैं,
ये पल मुझे बहुत अनमोल लगती हैं,
रात सुहानी अब ढलने लगी है,
तेरी मस्त अदा अनमोल लगती हैं।
चेहरा तेरा मायूस दिखता हैं,
फिर भी खूबसूरती अनमोल लगती हैं,
तेरी जुल्फें हवा में लहरा रही है,
तेरे हूश्न की महक अनमोल लगती हैं।
सितारों की महफिल सज गई हैं,
महफिल की रंगत अनमोल लगती हैं,
शेर-शायरी की घूम मच गई है,
तेरे आने से महफिल अनमोल लगती हैं।
दिल में मिलन की तड़प लगी हैं,
ये मिलन की तड़प अनमोल लगती हैं,
आजा मेरी बांहों में सिमट जा "मुरली",
ये चांदनी रात मुझे अनमोल लगती हैं।
रचना:-धनज़ीभाई गढीया"मुरली" (ज़ुनागढ)

