अनलिखी_कविता
अनलिखी_कविता
बहुत झंझावात है
अभिलाषाएं है ,
सवाल है ,कोतुहल है,
आत्मबोध है ,तड़प है
दर्द कुछ बाकी है ,
प्रेम और वियोग है ,
संताप और हर्ष है ,
क्रोध है उन्माद है ,
भूल और कुछ याद है ,
हताशा और आशा है
द्वन्द है ...तमाशा है,
युद्ध है जो मेरा स्वयं से
क्या उसकी परिभाषा है ?
लड़ना मेरा जारी है ,
स्वयं में निरुद्ध
या स्वयं के विरुद्ध,
साथ छूट रहे है
ये कलम दवात संग
मेरी साझेदारी है ,
क्यूँकि कुछ
अनसुलझे उद्गार
बाकी है जिनको
लिखना है मुझे
वही जो रिक्त है
छुपे मुझमें ही कहीं
बनकर मेरी एक
अनलिखी_कविता।