"घ" से वो "घनघोर" "घटाऐं" जो आसमान में छाती है "घिर" आती जब आसमान में "घना" अँधेरा लाती है "घोर" बरख... "घ" से वो "घनघोर" "घटाऐं" जो आसमान में छाती है "घिर" आती जब आसमान में "घना" अँधे...
छुपे मुझमें ही कहीं बनकर मेरी एक अनलिखी_कविता। छुपे मुझमें ही कहीं बनकर मेरी एक अनलिखी_कविता।
आप बोलो और हम सुनते रहें, कुछ ऐसा हो आलम। आप बोलो और हम सुनते रहें, कुछ ऐसा हो आलम।
बात पते की याद ये रखना अब पशुता इंसान दिखलायेंगे। बात पते की याद ये रखना अब पशुता इंसान दिखलायेंगे।