उल्फत
उल्फत
इतनी सी हसरत है ,
आप की उल्फ़त में गुज़र जाए उम्र तमाम।
आप हमारी राहतों में
और हम आपके दर्द में आएँ काम।
आपको पसंद हो सोहब्बत हमारी,
लोग जाने हमें ले के आपका नाम।
आपकी चोट से दर्द हो हमें,
ऐसा हो इस उल्फ़त का मुक़ाम।
आपके साथ गुज़र जाए हर दिन,
आपके साथ ढल जाए हर शाम।
कोई भी लमहा न हो बिन आपके,
मेरी साँसें लें आपका नाम।
मना कि हम शायर नहीं,
मगर लिखा जज़्बातों को तो मिला आराम।
थम से जाएँ लमहें,
जब भी हो हमारी मुलाक़ात की शाम।
आप बोलो और हम सुनते रहें,
कुछ ऐसा हो आलम।

