अंखियाँ
अंखियाँ
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बीती रात कमल दल फूले,
तुम मेरे नैनों में झूले,
ये अंखियाँ दरस की प्यासी,
तुमसे मिलकर कैसे फूले |
रोज़ तुम्हारी बाट ये जोहतीं,
तुम बिन अक्सर छुप - छुप रोतीं,
तुमको बसा अपने नैनो में,
ये तुम संग पूरी रतियाँ सोती।
तुम आये लेकर नए सपने,
और निभाने वादे अपने,
सारी रात हम दोनों भूले,
एक - दूजे के तन को छूलें।
तुमको जाने अब ना देंगी,
ये अंखियाँ तुमसे उलझेंगी ,
आओ मिलकर फिर से झूलें,
बीती रात कमल दल फूले।