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Anita Chandrakar

Romance

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Anita Chandrakar

Romance

अनकही बातें

अनकही बातें

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करके तुमसे घन्टों बातें भी, लगता जैसे कुछ रह गया अधूरा।

संग तुम्हारे जीने का मेरा ये सपना, आखिर कब होगा पूरा।


पंख लगाए उड़ता है वक़्त, या चलते तेजी से घड़ी के काँटे।

ढेरों शिकायतें रहती एक दूजे से, दिल की बातें कब बाँटे।


जब जाने लगता रवि क्षितिज की ओर, बढ़ जाती है धड़कन।

रह जाती कुछ कही अनकही बातें, तड़पने लगता फिर से मन।


सच तो यही है कि पाती हूँ ख़ुद को, महफ़ूज तुम्हारी बाँहों में।

जुदाई का डर मन में रहता, बाधाएँ बहुत है प्रेम की राहों में।


देखना चाहती हूँ संग तुम्हारे, झिलमिलाते तारों भरा आकाश।

मिलेगा सुक़ून तुम्हारे काँधे पर, ये सपना सच हो जाता काश।


ढूँढ लेती हूँ ख़ुशियाँ तुम्हारी ख़ुशी में, हाँ मैंने किया है प्यार।

तुम जैसे हो मेरे हो साथी, पूरे मन से किया है तुम्हें स्वीकार।



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