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Ajay Prasad

Tragedy

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Ajay Prasad

Tragedy

अन्कहे रिश्ते

अन्कहे रिश्ते

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रिश्ते भी अब रिसने लगें हैं

गैर मुझे सब दिखने लगें हैं

कल तक था जो मन मुटाव

बन के नासूर टिसने लगें हैं


सच्चाई, ईमानदारी, तहजीब

धीरे-धीरे सब घिसने लगें हैं

बेहयाई ,बेईमानी, भ्रष्टाचारी

लंबे समय तक टिकने लगें हैं

हालात और हसरत के बीच

इंसानियत अब पिसने लगें हैं।



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