STORYMIRROR

Shibangi Das

Tragedy

4  

Shibangi Das

Tragedy

अनकहे ज़ज्बात

अनकहे ज़ज्बात

1 min
485

सबकी इच्छा होती है

कि कोई तो हो, 

जो उनके दिल के

अनकहे ज़ज्बात

बिन बोले ही समझ जाये।


सबको कोई न कोई

मिल ही जाता है

बिन बोले उनके हालात

समझ जाने वाला,

पर कोई है

जो बहुत ही बदकिस्मत है

उसने कभी किसी का

बुरा नहीं चाहा

हमेशा भला ही किया

फिर भी उसके बारे में

कोई नहीं सोचता।


वो तो कह भी नहीं पाता

और उसके जज़्बात

समझने वाला भी कोई नहीं,

गिनती में पाए जाते हैं लोग

जो उससे हमदर्दी जताते हैं।

वो चल फिर नहीं सकता

इसका मतलब ये तो नहीं

कि उसके कुछ ज़ज्बात नहीं?


जैसी तुम्हारी है इच्छा

थोड़ा और जीने की

वैसी उसकी भी तो है

बहुत ही बेरहमी से

उसका अस्तित्व मिटा देते हो,

पर कभी समझने की

कोशिश की है

कि उसके वजह से

हमारा अस्तित्व है?


वो न हो तो

हमारा जीना दुश्वार है

समझ लो ये बात, ऐ इंसान!

कहीं देर न हो जाये

और पेड़ को काटते काटते

कहीं तुम्हारे ज़िंदगी के

पांच साल न कट जाये,

कहीं उसके अनकहे ज़ज्बात

अनसुनी ही न रह जाए....



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy