मेरे सपनों का प्यार
मेरे सपनों का प्यार
मेरे सपनों का प्यार
कुछ ऐसा होता
जो मेरे जिस्म को नहीं
रूह को संवारता,
जो मेरे बचपने में खुशी ढूंढता
और नादानी को बड़े प्यार से संभालता
जो न शक करे मुझपर,
हो हम दोनों में अटूट विश्वास
दूरी बढ़ जाए कभी हमारे बीच अगर
तो गहरा हो जाए प्यार हमारा,
पाकर प्यारी सी यादों की मिठास
मैं हूँ समंदर की उफान
तो वो बन जाए तालाब का ठहरा हुआ पानी,
ढेर सारी हो नोक झोंक
जब सुबह जागूं तो
सूरज की किरणों से नहीं,
बल्कि उसके होंठों का
जब हो रहा हो मेरे माथे से मिलन,
तब,
रात को ठंड लगे जब
तब वो मेरी रज़ाई बन जाये,
कुछ ऐसा ही प्यार
ये मन मेरा चाहे।
प्यार भी हो भरपूर
और सपनों की चाहत भी न छूटे
कुछ ऐसा ही प्यार
मेरा मन ढूंढे।
काश! ये सपना
हकीकत में तब्दील हो जाए
कुछ ऐसा ही
मेरा मन चाहे।