STORYMIRROR

Shibangi Das

Romance

3  

Shibangi Das

Romance

मेरे सपनों का प्यार

मेरे सपनों का प्यार

1 min
287

मेरे सपनों का प्यार

कुछ ऐसा होता

जो मेरे जिस्म को नहीं

रूह को संवारता,

जो मेरे बचपने में खुशी ढूंढता 

और नादानी को बड़े प्यार से संभालता 

जो न शक करे मुझपर,

हो हम दोनों में अटूट विश्वास

दूरी बढ़ जाए कभी हमारे बीच अगर

तो गहरा हो जाए प्यार हमारा,

पाकर प्यारी सी यादों की मिठास

मैं हूँ समंदर की उफान

तो वो बन जाए तालाब का ठहरा हुआ पानी,

ढेर सारी हो नोक झोंक

जब सुबह जागूं तो 

सूरज की किरणों से नहीं,

बल्कि उसके होंठों का

जब हो रहा हो मेरे माथे से मिलन,

तब,

रात को ठंड लगे जब

तब वो मेरी रज़ाई बन जाये,

कुछ ऐसा ही प्यार

ये मन मेरा चाहे।

प्यार भी हो भरपूर

और सपनों की चाहत भी न छूटे

कुछ ऐसा ही प्यार

मेरा मन ढूंढे।

काश! ये सपना

हकीकत में तब्दील हो जाए

कुछ ऐसा ही

मेरा मन चाहे।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance