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Shibangi Das

Abstract

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Shibangi Das

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बदलता ज़माना

बदलता ज़माना

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जब अपने ही हुए पराये

जब भाई भाई ही ना रहे

जब भरोसे की

कोई जगह न रही


किसी रिश्ते में

जब लालच हो गया

प्यार से बड़ा

जब हर भावना से ऊपर

हो गए रुपये


जब प्यार के मायने

बदल दिया लोगों ने

और इस खूबसूरत

एहसास को


ठहराया गया घिनौना

जब कुछ रिश्ते भी

समझौते पलट गए

जब हर जगह होने लगा


बेवफाई का बोलबाला

और वफा की न रही

दिल में कोई जगह

देखकर ये बेहाल नजारा


खूब रोया आसमाँ

जब भावनाएँ होकर भी

भावनाहीन हो गए लोग


खूब रोया आसमाँ

करने उपरवाले

का दर्द बयान।


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